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पवित्र हृदय: प्रेम, करुणा और क्षमा का जीवित प्रतीक


येसु के पवित्र हृदय का पर्व

जून का संपूर्ण महीना पवित्र हृदय की भक्ति को समर्पित होता है, जो हमारे प्रभु मसीह के हृदय में उपस्थित दिव्य प्रेम का प्रतीक है।


पवित्र हृदय के प्रति भक्ति का मुख्य स्रोत संत मार्गरेट मैरी को प्राप्त दर्शन है। स्वयं प्रभु ने उन्हें दर्शन दिए तथा अपने पवित्र हृदय के माध्यम से अपने असीम प्रेम को प्रकट किया। प्रभु ने उन्हें यह प्रकट किया कि वे अपने प्रेम की विलक्षणता एवं करुणा के खजाने को संपूर्ण मानव जाति में प्रकट करना चाहते हैं। उन्होंने यह कार्य संपन्न करने के लिए मार्गरेट मैरी को विशेष रूप से चुना।


11 जून, 1899 को पोप लियो तेरहवें ने सम्पूर्ण मानव जाति को पवित्र हृदय को विधिपूर्वक समर्पित करते हुए एक सार्वभौमिक अभिषेक समारोह सम्पन्न किया।


पवित्र हृदय की भक्ति की उत्पत्ति गोलगोथा की घटना से जुड़ी हुई है, जब क्रूस पर टंगे प्रभु के हृदय को भाला भेदा गया था। उसी क्षण प्रभु के प्रेम का मूल स्रोत उमड़ पड़ा— एक ऐसा प्रेम जो बलिदान, क्षमा और दया पर आधारित है। इस प्रेम के प्रत्युत्तर में, प्रभु हमसे सम्पूर्ण समर्पण एवं निष्कलंक प्रेम की अपेक्षा करते हैं।


प्रभु ने यह वचन दिया कि वे उन सभी स्थानों को विशेष आशीर्वाद देंगे जहाँ उनके पवित्र हृदय की प्रतिमा को प्रतिष्ठापित किया जाएगा एवं आदर सहित पूजा जाएगा।


उन्होंने यह भी प्रतिज्ञा की कि वे पुरोहितों को वह विशेष अनुग्रह प्रदान करेंगे, जिससे वे कठोरतम हृदयों को भी ईश्वर की ओर आकृष्ट कर सकें।


प्रथम शुक्रवार की नौ मासिक आराधना का पवित्र हृदय के प्रति समर्पण में एक विशेष स्थान है। प्रभु ने यह प्रतिज्ञा की कि जो कोई भी लगातार नौ महीने प्रथम शुक्रवारों को पवित्र संस्कार के साथ उनका भक्तिपूर्वक स्मरण करेगा, उसे अंतिम पश्चाताप की कृपा अवश्य प्राप्त होगी। ऐसे व्यक्ति संस्कारों से वंचित होकर नहीं मरेंगे, और उनके लिए पवित्र हृदय अंतिम क्षणों में सुरक्षित आश्रय बन जाएगा।


हम ख्रीस्तियों के लिए,“पवित्र हृदय” एक गहन प्रतीक है जो परमेश्वर के दिव्य, अंतरंग और शाश्वत प्रेम की घोषणा करता है।


पवित्र हृदय ईश्वर की परम संवेदनशीलता का प्रतीक है - यह उस प्रेम का संकेत है जो मानव पाप से घायल होने को स्वीकार करता है, और फिर भी असीम प्रेम बनाए रखता है।


- श्रद्धेय फादर डॉमिनिक पिंटो

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