- 27 June, 2025
दिल्ली, जून 27, 2025 – आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना से "समाजवादी" और "पंथ-निरपेक्ष" शब्दों को हटाने की सार्वजनिक रूप से वकालत कर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। गुरुवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने इन शब्दों की आलोचना की, जो आपातकाल के दौरान प्रस्तावना में जोड़े गए थे, और यह सवाल उठाया कि क्या ये शब्द आज के भारत में अब भी प्रासंगिक हैं।
अपने तीखे बयान में होसबोले ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सब आपातकाल के दौरान "थोपा गया" था, और इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, “जिन्होंने यह किया, आज वही संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं। उन्होंने आज तक इसके लिए माफी नहीं मांगी। यह तुम्हारे पूर्वजों ने किया था। देश से इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।”
होसबोले ने यह भी तर्क दिया कि अब समय आ गया है कि 1976 में संविधान के 42वें संशोधन द्वारा जोड़े गए "समाजवादी" और "पंथ-निरपेक्ष" शब्दों के अस्तित्व पर पुनः विचार किया जाए।
होसबोले की इस टिप्पणी ने संविधान की प्रस्तावना को लेकर फिर से चर्चा शुरू कर दी है। इन शब्दों को हटाने की मांग राजनीतिक और कानूनी जांच के घेरे में आ सकती है। यह बहस भारत में संविधान की व्याख्या को लेकर चल रहे मतभेदों को दर्शाती है।
स्रोत: इंडिया टुडे
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